चार साल के लम्बे इंतज़ार बाद रणबीर कपूर ने फैंस को किया निराश, शमशेरा के किरदार किया 'FLOP'
- By Sheena --
- Saturday, 23 Jul, 2022
चार साल के लम्बे इंतज़ार बाद रणबीर कपूर ने फैंस को किया निराश, शमशेरा के किरदार किया FLOP
बॉलीवुड : हाल ही में रणवीर कपूर की फिल्म 'शमशेरा' सिनेमा घरो में दस्तक दे चुकी है। हलाकि की यह रणबीर कपूर फिल्म चार साल बाद आयी है और इसलिए फैंस को उनकी मूवी का बेसबरी से इंतज़ार था, पर लम्बे समय के बाद भी रणवीर अपने फैंस को निराश कर गए है। जी हां, बता दे की रणवीर की फिल्म 'शमशेरा ' शुक्रवार को सिनेमा घरो मे रिलीज़ हुई है। बड़े बजट की मसाला एंटरटेनर 'शमशेरा' बॉक्स ऑफिस पर अंडरपरफॉर्म कर रही है। फिल्म रिलीज के पहले दिन लगभग 10 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है, जो 150 करोड़ रुपये के कथित बजट पर कुछ के लिए एक महान आंकड़ा नहीं है। वास्तव में, शमशेरा वास्तव में 2022 के YRF के अन्य कुख्यात बॉक्स ऑफिस बम, सम्राट पृथ्वीराज की तुलना में कम संख्या में खुल सकता है, जिसने अपने पहले दिन 10.7 करोड़ रुपये कमाए।
फिल्म: निर्देशक करण मल्होत्रा की फिल्म 'शमशेरा' एक डकैत ड्रामा फिल्म है। रणबीर कपूर, वाणी कपूर और संजय दत्त है। फिल्म में रणबीर के डबल रोल हैं और दोनों ही आपको खूब पसंद आएंगे, उन्होंने पिता और बेटे का किरदार निभाया है। संजय दत्त जहां एक पुलिसवाले शुद्ध सिंह के किरदार में हैं तो वहीं वाणी कपूर ने डांसर का रोल निभाया है। ये फिल्म डकैती और पिता की मौत का बदला लेने की दिलचस्प कहानी है जिसे गजब के VFX और एक्शन सीन के साथ पेश किया गया है।
कहानी: फिल्म की कहानी खमेरन और काजा नाम की जाति के लोगों पर आधारित है, जिसमें मां बेटे की प्यारी कहानी, पति- पत्नी का रोमांस और अपनी जाति के लोगों के लिए लड़ाई, सबकुछ देखेंगे। 18वीं शताब्दी में राजपूतों के दौर में खमेरन जाति के लोग आसरा लेने की तलाश में काजा पहुंचते हैं लेकिन वहां के ऊंची जाति के लोग उन्हें स्वीकार नहीं करते। तब उनका सरदार शमशेरा रणवीर कपूर अपने साथियों के साथ मिल कर काजा में लूटपाट शुरू कर देता है। काजा के लोगों ने अंग्रेजों के दरबार में खमेरन के खिलाफ गुहार लगाई, तब सरकारी दरोगा शुद्ध सिंह ( संजय दत्त ) को भेजा जाता है, जो शमशेरा और उसके साथियों को धोखे से काजा के किले में गुलाम बना लेता है और उन पर बहुत अत्याचार करता है।
करण मल्होत्रा: ने शमशेरा जैसी कहानी के साथ एक रिस्क लिया.. जहां उन्हें 18वीं सदी की कहानी बतानी थी। यहां उन्हें उम्दा एक्टर्स मिले, बजट मिला.. लेकिन नहीं मिली तो एक मजबूत कहानी। फिल्म की कहानी बेहद सतही लगती है। जब कहानी इतने बड़े स्तर की होती है तो एक चीज को सबसे ज्यादा काम करती है कि वो है इमोशनल फैक्टर। इस फिल्म में वो कमी खलती है। यहां आपको भी किरदार से या परिस्थितियों से कोई जुड़ाव महसूस नहीं होगा। फिल्म शुरु से अंत तक सपाट चलती है। लिहाजा, एक समय के बाद सिर्फ इसके क्लाईमैक्स का इंतजार करते हैं, जो आपको पहले से ही पता भी होती है। वहीं, कहना गलत नहीं होगा कि फिल्म की कहानी कई अलग अलग फिल्में और वेब सीरिज की खिचड़ी लगती है।
तकनीकी स्तर: पर फिल्म अच्छी है। शमशेरा के साथ उन्होंने जो अनदेखी दुनिया दिखाने की कोशिश की है, उसमें सिनेमेटोग्राफर अनय गोस्वामी सफल रहे हैं। फिल्म के प्रोडक्शन डिजाइन की तारीफ होनी चाहिए। वीएफएक्स भी अच्छी है। पीयूष मिश्रा के संवाद औसत हैं। कई संवाद को कविता की तरह रखा गया है, लेकिन जब कहानी ही प्रभावी नहीं होती है तो भारी भरकम संवाद खोखले लगते हैं। शिवकुमार वी पाणिकर की एडिटिंग थोड़ी और चुस्त हो सकती थी, खासकर फिल्म के फर्स्ट हॉफ में।
फिल्म का संगीत: दिया है मिथुन ने, जो कि बेहद औसत है। ज़ी हुजूर, फितूर जैसे गाने थोड़ा प्रभाव डालते हैं, लेकिन कहानी के बाधा की तरह लगते हैं। सभी गाने सिर्फ फिल्म की लंबाई को बढ़ाने का काम करते हैं, जो पहले से ही काफी लंबी है। साथ ही गानों में रणबीर और वाणी की कैमिस्ट्री बिल्कुल निराश करती है।
रेटिंग: 2.5 शमशेरा पूरी तरह से रणबीर कपूर पर टिकी हुई फिल्म है। अभिनेता अपने दोनों किरदारों के साथ पूरी तरह से न्याय भी करते हैं। लेकिन कमजोर कहानी और निर्देशन फिल्म को औसत बना देती है। चार सालों के बाद रणबीर को इस फिल्म के साथ बड़े पर्दे पर देखना थोड़ा निराशाजनक रहा। फिल्मीबीट की ओर से 'शमशेरा' को 2.5 स्टार।